आइये अपने देश की खातिर कुछ लिखें !!!

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आपको हमको सब हिन्दी जनों को सोचना है तय करना है कि अलग-अलग प्रयासों को मरते देखना है…जिससे लेखक और पाठक दोनों को वांछित की प्राप्ति नहीं हो पाती …. या एक दूसरे का साथ देकर हिन्दी को सश…

स्रोत: आइये अपने देश की खातिर कुछ लिखें !!!

2 comments

  1. मैं हूँ या नहीं हूँ मैं!!!

    ONS के हीरो की तरह
    सब लोग मुझे ही दोष दिए जा रहे हो !
    समझा करो!
    जोड़े सारे वही बनाता है!
    बस किसी-किसी को किस्मत में
    पूरा कुछ भी नहीं मिलना लिखता —-
    कभी कभी बहुत स्वादिष्ट भोजन
    टुकड़ों टुकड़ों में देता है!
    मुझे जो भी हक मिले
    लड़ झगड़ कर हथियाने से
    टूटे फूटे टुकड़ों में
    मेरी लहूलुहान हालत में मिले !
    मेरे अपनों की
    दुलार भरी देखभाल ने
    जिस्म पर चोटों के निशान तक
    बाकी ना रहने दिये !
    बस मेरे या
    किसी अपने के भी जेहन में
    दिल की देखभाल का
    खयाल ही ना आया!
    कतरा कतरा रिसते रहा दिल —
    आब एक भरे पूरे बेदाग शरीर में
    पेसमेकर से दिल वाला
    मैं
    समर्पित हूँ उनके प्रति
    जिनको अधिकार है!
    कहना मुश्किल है
    कि
    मैं हूँ
    या
    नहीं हूँ मैं !!!

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