मरने की जिद कब कोई करे,
जीने की वजह पर मिले नहीं
चाहत जीने की मर जाये,
जीना मुश्किल जब हो जाये,
फिर कैसे कोई जी पाये….!
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जीने के बहाने जिये बहुत,
बेगाने, अपने किये बहुत,
घावों को अपने ढंक-ढंक कर
औरों के घाव भी सिये बहुत….
अपना ही नासूर जब बन जाये,
खुद ही बह, जाहिर हो जाये,
मुस्कान दिखाये ना दिख पाये
कैसे कोई दर्द छुपा पाये
तब जीना मुश्किल हो जाये
फिर कैसे कोई जी पाये…
#सत्यार्चन