भारत में सबसे बड़ा दिन क्रिसमस क्यों?
हिंदू बहुसंख्यक भारत में मीडिया व सोशल मीडिया पर हिंदू त्योहारों से भी अधिक और सर्वाधिक शोर-शराबा क्रिसमस का ही क्यों होता है… जबकि भारत की 125 करोड़ आबादी में केवल 63 लाख ही ईसाई परिवार हैं…???
राष्ट्रभक्त क्षुब्ध भी हैं … किंतु किसी ने कभी इस पर विचार क्यों नहीं किया कि हिंदुत्व के अतिरिक्त भारत में ही विकसित अन्य धर्मों यथा बोद्ध, जैन आदि के त्योहारों पर इसकी 10% भी हलचल क्यों नहीं होती ???
विकीपीडिया आंकड़ों में भारत में 79.80% प्रति शत हिंदूओं के अतिरिक्त 14.23% मुसलिम, 0.7% बौद्ध , 1.72% सिक्ख और 2.3 %
ईसाई हैं.
फिर ऐसा क्या है कि साल का सबसे महत्वपूर्ण दिन , बड़ा दिन, क्रिसमस ही बना हुआ है ….
ठोस कारण हैं-
अंग्रेजों ने भारत पर राज करते समय ही भारतीयों को नीच (ब्लडी) कह-कहकर भारतीयों से भी मनवा लिया था कि हम नीच हैं … गौर वर्ण अंग्रेज देव तुल्य हैं और उनकी भाषा अंग्रेजी देववाणी की तरह आदरणीय … तब अंग्रेजी जानने वाला भारतीय ही बड़ा अधिकारी हो सकता था और अंग्रेजी सीखने के लिये अंग्रेजों की चाटुकारिता आवश्यक थी…
अंग्रेजी सिखाने वाले (गुरु) की हर बात तब भी शिरोधार्य थी और अब भी है…
आज आजादी के 70 साल बाद भी, भारत में बड़े पदों को सुशोभित कर सकने में सफल प्रशासकों, अधिकारियों, कर्मचारियों, पत्रकारों में से 95% से भी अधिक (सत्यार्चन चुनौती है सर्वे कराकर देख लें।) भारतीय विदेशी मिशनरियों के स्कूलों से अंग्रेजी सीखने के साथ-साथ विवशता वश अंग्रेजी (ईसाई) सभ्यता को जीकर निकले हैं. केवल 2-1/2 साल के पारिवारिक वातावरण के बाद से ही बच्चा आपकी सभ्यता को हीन सुनना शुरु कर देता है… बाल मन पर जो भी छाप पड़ती है वह स्थायी होती है…. बच्चों को समझ ना आ सकने वाला हमारा क्लिष्ट राष्ट्र गान बच्चों के लिये प्रेरणा विहीन ही रह जाता है और बची-खुची कसर अगले 11-12 साल तक वही विदेशी सीखें लगातार सुनते रहने के बाद उसकी अंग्रेजी और अंग्रेजी सभ्यता का स्तर इतना ऊँचा हो जाता है कि उसकी अपनी सभ्यता उसके लिये महत्वहीन या निकृष्ट हो जाती है…
“यही सबसे वड़ा कारण है कि कान्वेंट शिक्षित भारतीय नागरिक के मन में भारत कहीं नहीं होता !”
भारतीय प्रशासन को चाहिये कि स्थानीय, राष्ट्रीय सांस्कृतिक मूल्य पोषित शिक्षा व्यवस्था की दिशा में स्वतंत्रता के 100 वर्ष होने से पूर्व समर्थ हो सकने के प्रयास आज से ही प्रारंभ करें!
- SathyaArchan
13 thoughts on “भारत में सबसे बड़ा दिन क्रिसमस क्यों?”
गैर – मुस्लिम का मुस्लिम से शादी करना देशद्रोही लव – जेहाद है ?
आश्रमो में बेटियों का बलात्कार राष्ट्रवादी जेहाद है क्या?
https://twitter.com/narendramodi/status/945114041042604032
इस ब्लाग पोस्ट पर आपकी यह टिप्पणी भूल से आई है… विषय से सम्बद्ध नहीं है… “”क्या पत्रकारिता विहीन देश हैं हम ” में दूसरे शब्दों में यही प्रश्न तो मेरे है….
आपसे खुले तौर पर बहस चाहती हूँ सम्यक शालीन तौर पर व्हाट्सएप पर गुप्त नहीं ।
तो फेसबुक पर आ जाइये …. ज्यादह व्यापक है… मुझे यहां पर भी बहस से इंकार नहीं … किंतु मैं और मेरा ब्लाग शालीनता की सीमा में आबद्ध रहते हैं ….. शालीनता की सीमा में स्वागत है आपका…
आपका प्रश्न है भारत में सबसे बड़ा दिन क्रिसमस क्यों ?
प्रश्न नहीं उत्तर है …. आप केवल शीर्षक पढ़कर ही बहस पर आमादा है…. वाह क्या उतावलापन है….
आपकी आपत्तियां मुझे समझ नहीं आ पा रहीं हैं …. आप चाहें तो व्हाट्सएप / मोबाइल पर वार्तालाप हेतु आपको आमंत्रित करता हूँ नं- 88895 12888
bilkul dil ki baat likh daala apne……sach men pichhlaggu hain ham…..
आखिर परतंत्रता की परिपाटी को और कब तक पोषित करते रहेंगे हम….
https://wp.me/p8uYme-1sg
परतंत्र मानसिकता का परित्याग परमावश्यक हो गया है अब…
आपने बिल्कुल सही कहा .. मुझे भी बदलाव चाहिये । आधिकारिक पदों पर अपनी हिन्दी की मान्यता चाहिए । हिन्दी को राष्ट्रीय भाषा का अधिकार मिलना चाहिए। अंग्रेज़ी मात्र भाषा है , सीखने में कोई आपत्ति नही । लेकिन हिन्दी हमारे धड़कन बननी चाहिए । हिंदी की जरूरत विदेश भ्रमण में होने चाहिए । हमारे भारत मे नही ।
धन्यवाद् …. हां सही तो है ….बाहर अंग्रेजी और घर (देश) में हिंदी….