जैनब माफ करना… हम खुश हैं तेरी मौत पर !
टी व्ही रिपोर्टर कौसर नाज़ अपनी बच्ची को गोद में बैठाकर न्यूज पढ़ रही थीं... बहुत बड़ी फनकारा हैं वो... मेरी आंखें गीली हो गईं... पहले बांया गाल गीला हुआ ... फिर दांया.. फिर बांया ... फिर दांया... थोड़ी देर तक यही सिलसिला चलता रहा ... तभी होश आया कि ये मैं क्या कर रहा हूँ... दुश्मन के दर्द में रो रहा हूँ... मुझे तो खुश होना चाहिये... और फिर मैंने मानवता को ताक पर रख ऊपर वाले से दुआयें माँगना शुरु की... ऐ मालिक जैसे दरिंदों ने #जैनब के साथ दरिंदगी की वैसी ही दरिंदगी हर पाकिस्तानी में... हर मुसलमान मर्द में भर दे.. कुछ ऐसा कर ऐ मालिक कि पाकिस्तान के घर-घर में माँएं अपनी-अपनी गोद में #जैनब की लहद ले रोती दिखाई दें... और सिर्फ पाकिस्तान ही क्यों सभी मुस्लिम देशों में, सारे मुसलमानों के घरों में ऐसा ही कोहराम मचता होता दिखा..मुझे मेरे मौला... पर.... मुझे माफ करना मौला मैंने मेरी वतनपरस्ती के खिलाफ... मजहब के खिलाफ जाकर दुश्मन कौम के दुश्मन देश के दुश्मन की दुश्मन बच्ची के दर्द में आँसू बहाने का अजीम गुनाह किया है... तेरा बनाया इंसान होने के नाते... जाने क्यों... मुझमें अब भी इंसानियत बाकी है ...मरती ही नहीं... दुश्मन कौम के दुश्मन देश की बच्ची की लाश पर आँख में आँसू... अनजाने में आ ही गये... मैं जाहिल हूँ ... खताबार हूँ...पर हूँ तो तेरा ही बंदा... खता हो गई ऐ मालिक... मेरी खता मुआफ कर... मुझपर रहम कर ... और मुझे ऐसी ताकत से नवाज कि आइंदा किसी #जैनब सी मासूम की लाश देखूं तो मुझे रंज ना हो... गम ना हो ... रहम ना आये... बल्कि मेरे तनबदन में दरिंदगी दौड़े... ... बस एक आखिरी बार... इंसानियत दिखाने की इजाजत दे मुझे... मुझे #जैनब की रूह को तेरी ही निगहबानी में रखने की दुआ माँगनी है... और मुझे उसकी रूह से माफी माँगने की इजाजत भी दे... #जैनब-माफ-करना-हम-खुश-हैं-तेरे-हश्र-पर....