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फाइंडिंग “नीमो”

फाइंडिंग “नीमो”

एक हॉलीवुड मूवी है “फाइंडिंग नीमो”

मेरी पसंदीदा मूवी है!

अब समूचे भारत की कोशिश है •••

चिंता है फाइंडिंग ‘नीमो’ !

मूवी में नीमो मिल जाता है ••• सुंदर, सुखांत मूवी है!

किन्तु देश को जैसे मालया नहीं मिल सका वैसे ही नीरव मोदी (नीमो) के मिलने की भी कोई आशा नहीं !

ना करना चाहिए !

नित नये नये नटखट ‘नीमो’ जैसे लूटने वाले सामने आते रहेंगे •••

मगर लूटकर भागने के बाद •••

कम से कम तब तक जब तक हम जागरूक होकर अपने अधिकारों के रक्षक नहीं बन पाते !

हम में परिवर्तन आवश्यक हो गया है!

और तब तक कोई परिवर्तन नहीं हो सकता जब तक कोई प्रयास ना हो!

तब तक लूट रुकने की आशा व्यर्थ है

जब तक हम लुटेरों को अपने वोट लूटने से नहीं रोकते !

आपराधिक गतिविधियों में लिप्त

राजनीतिज्ञों को वोट देकर

अपराध मुक्त समाज की आशा मूर्खता है!

फर्क नहीं पड़ता किस पार्टी का है

अपराधी मौकापरस्त है

तो अपने स्वार्थ के लिए अपनी निष्ठा

किसी के भी हाथों बेच देगा

विरोधी को बेचते हुए भी वो कब सोचे गा!

किसी पार्टी के स्थान पर

शालीन को वरीयता देने के

आह्वान में आप भी सम्मिलित होकर

अपना कर्तव्य निभाना शुरू तो करें!

एक भी आम चुनाव में

यदि 10 भी सभ्य, शालीन, शिक्षित, योग्य उम्मीदवारों को मिले वोट

उल्लेखनीय संख्या तक पहुँच गये

तो अगले 2 से 3 चुनावों में ही

भ्रष्टतम दल भी शालीनता के समर्थन में आने विवश हो जायेगा!

हम बदलेंगे – युग बदलेगा!

कुछ तो बदलेगा!

चलिये हममें से जो शालीनता, सभ्यता के समर्थन में हैं वे ही प्रतिज्ञा कर लें!

मैं 1989 से यही करते आ रहा हूँ!

2009 में अन्नाजी को आगे लाने वाले साथी भी इसी मानसिकता के अनुसरणकर्ता थे !

वे राजनीतिक उपलब्धि पाकर पथभ्रमित हो आपसी फूट में भले बिखर गये हों ••• बदल गये हों•••

परन्तु उद्देश्य आज भी उतना ही पावन है!

आइये जन जागरण के प्रयास में फिर से जुट जाते हैं!

इस आह्वान का अपने सभी सम्पर्कों में सतत साझा करते रहिए! चाहें तो तुरंत फारवर्ड ही कर दीजिए!

(मेरे ऐसे ही आह्वान के लिये मैं “सिटीजन इंटीग्रेशन पीस सोसायटी इंटरनेशनल” (अमेरिका), द्वारा 2010 के “राष्ट्रीय रतन अवार्ड” हेतु नामाँकित किया गया था!)
– SathyaArchan

traffictail
Author: traffictail

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