प्रेम, रतन और धन…
प्रेम ?
जीवन का आधार….
अगर समझ सके वो भी…!
तो ही …
नहीं तो अभिशाप!
किये जाओ..
लुटते जाओ.
मिटते जाओ…
कल कोई और आयेगा
बड़ी सी बोली लगायेगा..
#तुम्हारे_सामने_ही
#तुम्हारी_खुशी ..
तुम्हारा_प्यार
खुशी खुशी
#बिक_जायेगा…
खरीदार ले जायेगा!
और तुम
#देते_रहना_दुहाई
दिखाते रहना गहराई…
वो नहीँ देखेगा
देखेगा तो वहीं देखेगा
जहाँ
#सिक्कों_का_वजन
बढ़ता दिखेगा!
जानते हो ना?
तीन तरह के लोगों से
बनी है ये दुनियाँ
रत्न, पारखी और व्यापारी
रत्न को रत्न पूछता नहीं
पारखी को
पारखी नहीं जँचता
मगर व्यापारी
तौलता है भाव
लगाता है मोल…
खरीदने के लिये…
और रत्न अक्सर
एक कीमत पर आकर
बिक ही जाता है
नहीं बिकता
#तो_छीन_लिया_जाता_है…
छीना ना गया
तो तोड़ा, जलाया
या गला दिया जाता है…
बिक गया तो सज गया
मुकर गया तो मिट गया…
रत्न अपना भाग्य
ऐसा ही
लिखा कर आता है!
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