ये दुनियाँ है…
इसका एक प्रिय ‘#खेला’ है… #उठतों_को_गिराने_का… झुकाने का… मिटाने का…
शुरु से ही चल रहा है ये #खेला… पौराणिक कथाओं में तो देवों के राजा इंद्र तक इस #खेला के अभ्यस्त दिखते हैं…
बाद में यही काम, जाने-माने खलनायकों / रावणों का प्रिय शगल हो गया…
फिर हर कोई देवराज इंद्र… रावण … हिरण्यकश्यपु होने की चाह रखने लगा…
अब समाज में #ज्यादातर_स्वयं_को रावण_समझने_वाले_हो_गये या होते जा रहे हैं हमारे आसपास…. आमने सामने… किसी भी युग में #किसी_ने_भी_ना_राम_होना_चाहा #ना कोई_राम_होना_चाहता_है…
ना ही पौराणिक युग के बाद कोई सीता, अहिल्या, अन्सुइया, शबरी, अन्नपूर्णा होने की चाहत रखने वाली दिखती है…
#आज_अधिकांश_को_मेनका, #शकुंतला, #कैकेयी, #मंथरा, #सूर्पणखा , #उमरावजान, #मोनिका_लेवेस्की, #सन्नी_लियोन, #मंजरी_बघेल_में_ही_आदर्श_दिखने लगा … पद्मावती को तो आज की अनेक स्त्रियाँ मूर्ख मानती हैं… #माँ_सीता_को_घोर_दुर्भाग्यशालिनी..
(शायद इसीलिए आज के बहुसंख्यक भक्तथन ‘जय सियाराम’ से परहेज़ करने लगे और ‘जय श्रीराम’ का उद्घोष करने वाले हो गये…! माँ सीता के आदर्श गिनाकर आधी आबादी के वोटों को खोने का खतरा कौन मोल लेना चाहेगा भला…! )!
शुरु से ही #उठतों_को_गिराने_का एक ही तरीका सर्वाधिक प्रचलन में है… उदित होते सितारे की चमक-दमक-तमक का तो कोई और तोड़ रावणों (सबल दुराग्रहियों) के पास होता ही नहीं है… इसीलिए ‘रावण’ उदीयमान के छोटे बड़े दाग ढूंढ-ढूँढ़कर निकालने और उन्हें एनलार्ज कराकर बड़े स्तर पर प्रचारित करने में संलग्न होते रहे…
अधिकांश उदीयमान तो इतने में ही अपनी चमक-दमक समेट सुसुप्तावस्था में चले जाते हैं…
किंतु आगे जाकर #जो_सितारे_बने, वे वैसे व्यक्ति हैं, जो दुराग्रहियों के दुष्प्रचार से स्वयं को अप्रभावित प्रदर्शित कर सके! और #अपनी_सम्पूर्ण_गमक_के_साथ अपने उद्देश्यों की ओर निरंतर अग्रसर रहे…! जरूरी हुआ तो “#र्गोरे_मुख_पर_श्याम_तिल” (के ‘दाग’) को ही सजासंवारकर, स्वयं गौरवपूर्ण तरीके से प्रदर्शित कर, अपने रूप का चंद्रमा बनाकर, प्रदर्शित करना शुरू कर लिया…!
जो भी व्यक्ति अपने ऊपर ( लगे/ लगाये गये/ प वास्तविक) ‘दागों’ से अप्रभावित रह सका दुनियाँ उसे कभी ना झुका सकी… बल्कि एक दिन दुनियाँ; उसीके सामने नतमस्तक होने विवश हो गई…!
यदि आप भी उन भविष्य के सितारों में से एक होना चाहते हैं…
तो बस… निश्चिंत रहिये!
शतप्रतिशत #सफल_होंगे_आप…!
शुभमंगल कामनायें…!
*मेरे उपरोक्त कथन पर ????आप से (सभी पाठकों से) सादर… असहमति.. आमंत्रित है!????*