… बताना मुझे आता नहीं …
मतकर दोस्त…
रहने दे आज
हँसने का,
जरा भी,
जी नहीं…
मुफलिसी का दौर है,
और छलक गई…
ठीक से पी नहीं…
.
इश्क है
जताता भी हूँ पर…
जाँचना तुझे आता नहीं ..
बताना है तुझे
कितनी चाहत है मगर…
बताना मुझे आता नहीं…
.
मेरी जानिब तू भी
बेकरार तो है
इकरार कर…
इजहार मेरा दिखता है तो
तोड़कर दीवार,
इश्क का दीदार कर
इसरार ही में
ना बीते बाकी
खुद पर अब तो ऐतबार कर….
2 thoughts on “बताना मुझे आता नहीं…”
Bahut badhiya…
बहुत बहुत धन्यवाद् जी आपका!
(वर्डप्रेस/ जेटपेक ने डांटकर बताया कि मेरी ओर से उत्तर देना शेष था…!!!)