*अज़ब सीन है!*
आँखों पर पट्टी बाँध बिना मुंडेर वाले कुओं के मैदान में अनेकानेक घूमने वालों को देख रहे हैं..
हम जैसे देखने वाले ..
आवाज भी लगा रहे हैं…
तो भी वे अनसुनी कर रहे हैं..
या हमारा ही मज़ाक उड़ाते हुए
चलते चले जा रहे हैं..
एक एक कर कितने ही
गिरते जा रहे हैं कुंओं में…
गिरते जा रहे हैं..
हम क्या करें?
समझ ही नहीं आ रहा..
*अज़ब सीन है!*
आज का संसार सबल अड़ियल आँख वालों और उनके समर्थक अंधों का है! सबल आँख वाले अंधों को हाधी, इच्छित जगह पर टटोलवाकर दिखाते हैं…! इसी तरह से दिखाया गया हाथी देखने वाले अंधों से भरा है यह संसार … आज लगभग सबके लिए, सब कुछ ही 4 अंधों के 4 तरह के हाथी जैसा है…! पेट टटोलने वाले अंधे को दीवार, पैर वाले को खंभा, कान वाले को सूपा, और पूंछ टटोलने वाले के लिये रस्सी है हाथी.. मजेदार बात यह है कि हरएक अंधा दूसरे अंधे के बताये हाथी को चीख-चिल्लाकर खारिज कराने में लगा है…! संसार में बहुमत ऐसे ही अंधों का है..
1 और 2 आँख वालों को तो पागल ही सिद्ध कर दिया जा रहा है… इसीलिए हर अंधे के सामने, उसके बताये जाते हाथी को ही सही मान लीजिए!
यही आज की समझदारी है…
भले आपकी आँखें बिल्कुल सही सलामत हों..!
अगर आगे भी सलामत ही रखनी हों तो…
और आँखें ही क्यों .. गर्दन भी… जिसपर आँखें लगी हैं..!
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