हम भी तो हैं चुप..
कब से
जब तुम चुरा रहे थे
जाने क्या-क्या..
अब हम निकले हैं काम पर
तो तुम भी जरा
आराम रख लो..
बंद रखो चोंच
जरा मौन रख लो…
मौसेरे भाईयों का और
एक ही सास के जमाइयों का
उसूल एक होता है
ना कहो कुछ तुम
ना हमें ही कहने दो
ज़ुल्म करें हम
तो रहो चुप तुम
औ हमें करने दो…
जब बन पाये तुमसे
तो हो सके जितना तुमसे
तुम भी कर लेना..!