मन तो मन है
मन का क्या..
वो जो देह का देवेन्द्र है…
इन्द्रियों का राजा
इस पल ये
तो उस पल वो चाहे मन
कभी सुंदर तन
तो कभी कठोर मन
कभी तीक्ष्ण तृषा धरे मन
तो कभी स्वमेव तर्पण
देवेंद्र सा चंचल
असत
अदृश्य
होकर भी सर्वाधिक सशक्त
सर्वाधिक नि:शक्त भी
सर्वाधिक आसक्त भी और फिर वही विरक्त भी…
मन है कि देवेंद्र?
अहिल्या से छल करते हुए
सबसे बड़े छलिया के छल को बचकाना सिद्ध कर दे…
निकृष्ट से निकृष्टतम
शेष सबको अनुशासित रख
स्वयं शीर्षस्थ उच्छंखृल
निकृष्ट या उत्कृष्ट?
अनिर्णय …???
मन तो मन है
मन का क्या ?