संशय!
(ये कहाँ पे आ गये हम?)
कल फिर एक #दुधमुँही_बच्ची के
#बलात्कार_की_खबर
दिनभर #खलबली_मचाती रही..
#लोग_जानना_चाहते थे कि
बलात्कार मज़हबी था या फिर धार्मिक!
देर रात तक भी #संशय_दूर_ना_हो_पाने से
ना तो लोग इस
#बलात्कार_का _मातम
ही ठीक से कर सके
और
ना ही ढंग से
#उत्सव_मनाया_जा_सका!!!
समाचारों की ऐसी अस्पष्ट रिपोर्टिंग के लिये अनेक लोगों ने मीडिया के प्रति #तीखा_आक्रोश_प्रकट किया!
– ‘#सत्यार्चन_का_सतदर्शन’